राम मंदिरः पाकिस्तान के दस स्थानों की मिट्टी भी नींव में

विश्व हिन्दू परिषद के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य दिनेश कुमार ने शनिवार को एक बड़ा खुलासा किया. उन्होंने बताया कि भूमि पूजन के लिए जब देश- विदेश के प्रमुख स्थानों की मिट्टी और पवित्र नदियों का जल संग्रह करने का काम चल रहा था, तब पाकिस्तान के भी 10 स्थानों से मिट्टी और जल अयोध्या […]

राम मंदिरः पाकिस्तान के दस स्थानों की मिट्टी भी नींव में
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| Edited By: | Updated on: Aug 08, 2020 | 7:20 PM

विश्व हिन्दू परिषद के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य दिनेश कुमार ने शनिवार को एक बड़ा खुलासा किया. उन्होंने बताया कि भूमि पूजन के लिए जब देश- विदेश के प्रमुख स्थानों की मिट्टी और पवित्र नदियों का जल संग्रह करने का काम चल रहा था, तब पाकिस्तान के भी 10 स्थानों से मिट्टी और जल अयोध्या पहुंचा था.

इसमें सबसे उल्लेखनीय शारदा पीठ की मिट्टी का पहुंचना रहा. शारदा पीठ इस समय पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में है. दिनेश कुमार ने बताया कि पाकिस्तान के कब्जे वाले भारतीय भू-भाग में स्थित शारदा पीठ की हिन्दू समाज में बहुत मान्यता है. वहां रहने वाला एक समर्पित और संकल्पित हिन्दू शारदा पीठ की मिट्टी व सरोवर का जल लेकर अयोध्या आया था. प्रतीकात्मक तौर पर वह बहुत कम मात्रा में मिट्टी और जल लाया था. लेकिन उसके संकल्प और इच्छाशक्ति ने हम सभी को अचंभित कर दिया. वह पीओके से अयोध्या तक कैसे पहुंचा, यह भी बहुत रोमांचक वर्णन है. उसे वापस जाकर कष्ट न उठाना पड़े, इसलिए हमने उसकी पहचान गुप्त रखी है.

उन्होंने बताया कि केवल शारदा पीठ ही नहीं, पाकिस्तान में रह गए हिन्दुओं के पवित्र स्थलों में से 10 स्थानों की मिट्टी और जल अयोध्या पहुंचा था. नेपाल के सीतामढ़ी और श्रीलंका में रामजी से जुड़े स्थानों की मिट्टी से लेकर विश्व भर में हिन्दुओं के लिए पवित्र माने जाने वाले स्थानों की मिट्टी भी भूमि पूजन के समय पहुंची थी. भारत की सभी पवित्र नदियों के जल, भारत के तीनों समुद्रों के जल के साथ ही विश्व के पांच समुद्रों के जल से भूमि का सिंचन किया गया.

दिनेश कुमार ने बताया कि अयोध्या में श्रीराम का मंदिर 77 एकड़ के भव्य परिसर में बनेगा. इसमें से सवा एकड़ में मुख्य मंदिर होगा. मंदिर परिसर का परकोटा 5 एकड़ में बनाया जाएगा. रामभक्तों की मांग के अनुरूप इस परिसर में जन्मभूमि की मुक्ति के साढ़े चार सौ साल के इतिहास को भी दर्शाया जाएगा और इसके लिए बलिदान देने वाले प्रमुख आंदोलनकारियों और नेतृत्वकर्ताओं की भूमिका को भी उकेरा जाएगा.

हिन्दुस्थान समाचार/जितेन्द्र तिवारी