पूरी दुनिया के सामने फिर से बेइज्जत हुए इमरान खान, विश्व बैंक ने ठुकराई ये मांग

भारत को लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को एक बार फिर से पूरी दुनिया के सामने जलालत झेलनी पड़ी है. इस बार विश्व बैंक ने पाकिस्तान के उस अनुरोध को मानने से मना कर दिया है, जिसमें उसने भारत के साथ सिंधु जल विवाद को सुलझाने के लिए एक आर्बिट्रेशन कोर्ट स्थापित करने के […]

पूरी दुनिया के सामने फिर से बेइज्जत हुए इमरान खान, विश्व बैंक ने ठुकराई ये मांग
Follow Us:
| Edited By: | Updated on: Aug 09, 2020 | 9:39 AM

भारत को लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को एक बार फिर से पूरी दुनिया के सामने जलालत झेलनी पड़ी है. इस बार विश्व बैंक ने पाकिस्तान के उस अनुरोध को मानने से मना कर दिया है, जिसमें उसने भारत के साथ सिंधु जल विवाद को सुलझाने के लिए एक आर्बिट्रेशन कोर्ट स्थापित करने के लिए कहा था.

विश्व बैंक का कहना है कि सिंधु जल समझौता पर किसी भी विवाद का निपटारा भारत और पाकिस्तान आपस में बातचीत करके ही सुलझा सकते हैं. विश्व बैंक के तत्कालीन कंट्री डारेक्टर पाचामुत्थू इलानगोवन ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुए जल समझौते में कोई ऐसा प्रावधान नहीं है, जिसके तहत विश्व बैंक इसमें कोई हस्तक्षेप करे.

उन्होंने कहा कि इस विवाद को दोनों देशों को ही बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता है. दोनों देशों के बीच सिंधु जल बंटवारा समझौता 1960 में हुआ था. भारत का कहना है कि पाकिस्तान उसके हिस्से का पानी भी ले रहा है. इसे लेकर कई बार विवाद उठ चुका है.

अब भारत बांध बनाकर अपने हिस्से के पानी को पाकिस्तान में जाने से रोकने के उपाय कर रहा है. वहीं पाकिस्तान इस मामले को वर्ल्ड बैंक को 4 साल पहले ही ले जा चुका है. पाक ने मांग की थी कि विश्व बैंक इस विवाद को हल करने के लिए एक कोर्ट आफ आर्बिट्रेशन स्थापित करे.

पाकिस्तान यह कटाक्ष भी करता रहा है कि 4 साल से उसके आवेदन पर विश्व बैंक कुंडली मार कर बैठा है. इलानगोवन ने यह भी स्पष्ट रूप से पाकिस्तान को कह दिया कि जब तक भारत डायमर बाशा डैम पर अपनी आपत्ति वापस नहीं लेता तब तक विश्व बैंक इस डैम के लिए पाकिस्तान को कोई फंड जारी नहीं करेगा.

भारत ने यह डायमर बाशा डैम पर अपनी यह आपत्ति जताई है कि जिन इलाके में पाकिस्तान यह डैम बनाना चाहता है वह उसका है ही नहीं, बल्कि वह भारत का हिस्सा है. इलानगोवन ने कहा कि विश्व बैंक की यह नीति रही है कि वह विवादित परियोजना को फंड नहीं देता.

भारत का मानना रहा है कि सिंधु जल बंटवारा समझौता का उल्लंघन पाकिस्तान करता रहा है. वह भारत के हिस्से का पानी ले रहा है. भारत ने विश्व बैंक को भेजे अपने जवाब में कहा है कि इस जल समझौते के प्रावधानों पर किसी भी विवाद के हल के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी की नियुक्ति के लिए तैयार है.

भारत ने सिंधु नदी पर इस समय दो परियोजनाओं पर काम भी कर रहा है. एक है 330 मेगावाट की किशनगंगा विद्युत परियोजना और दूसरा है 850 मेगावाट की रैटल हाईड्रोपावर परियोजना. इसमें से किशनगंगा विद्युत परियोजना पूरी हो चुकी है.

पाकिस्तान ने इन दोनों परियोजनाओं पर यह कहते हुए आपत्ति दर्ज कराई थी कि किशनगंगा परियोजना नीलम नदी पर और रैटल हाईड्रोपावर परियोजना चेनाब नदी पर बन रहीं है, जो कि पाकिस्तान की नदियां हैं. दिसंबर 2016 से ही कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन स्थापित करने का पाकिस्तान का प्रस्ताव विश्व बैंक के पास है.

हालांकि उस पर अभी तक कोई निर्णय बैंक ने नहीं किया था. इस बीच विश्व बैंक यह प्रयास जरूर करता रहा है कि दोनों देश बातचीत के आधार पर विवाद को सुलझा लें. लेकिन अब विश्व बैंक ने मध्यस्थता के बजाय दोनों देशों को आपसी सहमति से इस विवाद को निपटाने के लिए कह दिया है.

हिन्दुस्थान समाचार/बिक्रम