महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक कार्याध्यक्ष डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या हुए आज 7 साल पूरे हो गए लेकिन CBI इस मामले के मास्टरमाइंड को पकड़ नहीं पाई है. दाभोलकर के बेटे डॉ. हमीद दाभोलकर ने दु:ख प्रकट करते हुए ट्वीट किया है कि पिछले 6 साल से CBI इस मामले की जांच कर रही है.
उन्होंने लिखा कि CBI ने अभी तक कई लोगों को गिरफ्तार भी किया है, लेकिन हत्या के पीछे का मुख्य मास्टरमाइंड अब तक नहीं पकड़ा गया.
बता दें कि महाराष्ट्र के अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 की सुबह सैर करते समय पुणे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले की जांच पहले महाराष्ट्र पुलिस करती रही. 9 महीने बीत गए, तब भी कोई नतीजा सामने नहीं आया तो उच्च न्यायालय के आदेश पर जांच CBI को सौंप दी गई.
CBI ने 2016 में सनातन संस्था के सदस्य ईएनटी सर्जन और कथित प्रमुख साजिशकर्ता डॉ. वीरेंद्र तावड़े को गिरफ्तार किया था. उसके बाद अगस्त 2018 में दो शूटरों- शरद कलासकर और सचिन प्रकाशराव अंडुरे को गिरफ्तार किया. इन दोनों पर दाभोलकर पर गोलियां चलाने का आरोप है.
मई 2019 में मुबंई के सनातन संस्था के वकील संजीव पुनालेकर और उनके सहयोगी विक्रम भावे को गिरफ्तार किया गया. इनके अलावा तीन अन्य आरोपितों अमोल काले, अमित दिगवेकर और राजेश बांगेरा को गिरफ्तार किया है. ये तीनों 5 सितम्बर 2017 को बेंगलुरु में हुई पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के भी आरोपी हैं.
सीबीआई डॉ. वीरेंद्र तावड़े, शरद कलासकर, सचिन प्रकाशराव अंडुरे, संजीव पुनालेकर और उनके सहयोगी विक्रम भावे के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है. लेकिन तीन अन्य आरोपितों अमोल काले, अमित दिगवेकर और राजेश बांगेरा के खिलाफ अब तक चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई है.
वहीं एक आरोपी वकील संजीव पुनालेकर को जमानत मिल चुकी है. इस स्थिति से डॉ. दाभोलकर के परिजन बहुत दुखी हैं. हमीद दालोभकर ने कहा कि सीबीआई को इस साजिश के मास्टरमाइंड को खोजना होगा, वरना तर्कवादी विचारकों, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के लिए खतरा बना रहेगा.
डॉ. दाभोलकर, गोविंद पानसरे, एमएम कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्याएं आपस में जुड़ी हुई हैं. इन हत्याओं के पीछे एक ही अपराधी है और उसके द्वारा एक ही हथियार एक से अधिक बार इस्तेमाल किया गया है. दो हथियारों का चारों हत्याओं में इस्तेमाल किया गया है. बेंगलुरु की प्रयोगशाला ने यह साबित भी किया है कि दाभोलकर और पानसरे की हत्या एक ही बंदूक से की गई थी.’
हमीद का कहना है कि पिछले सात साल में महाराष्ट्र में अलग-अलग दलों और पार्टियों की सरकारें बनीं. इसके बावजूद पीड़ादायक स्थिति यह है कि डॉ. दोभोलकर हत्याकांड की जांच अब भी अधूरी है. देश की प्रतिष्ठित जांच एजेंसी सीबीआई भी अब तक इस मामले के मास्टरमाइंड को नहीं पकड़ पाई है. उसकी निगरानी में हो रही जांच छह साल बाद भी पूरी नहीं हो सकी है.
हिन्दुस्थान समाचार/जितेन्द्र बच्चन