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भारत-चीन तनातनी के बीच ​तीनों सेनाओं के लिए​​ ​22​ हजार ​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​800​ करोड़ मंजूर ​

चीन के साथ​​ चल रहे युद्ध जैसे हालात के बीच फिर एक बार तीनों सेनाओं के लिए ​​22​ हजार ​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​800 करोड़ रुपये मूल्‍य के रक्षा सामानों को खरीदने की मंजूरी दी गई है. अकेले भारतीय वायुसेना के लिए 106 बेसिक ट्रेनर एयरक्राफ्ट सहित 8 हजार 722.38 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ […]

भारत-चीन तनातनी के बीच ​तीनों सेनाओं के लिए​​ ​22​ हजार ​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​800​ करोड़ मंजूर ​
| Edited By: | Updated on: Aug 11, 2020 | 8:41 PM
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चीन के साथ​​ चल रहे युद्ध जैसे हालात के बीच फिर एक बार तीनों सेनाओं के लिए ​​22​ हजार ​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​800 करोड़ रुपये मूल्‍य के रक्षा सामानों को खरीदने की मंजूरी दी गई है. अकेले भारतीय वायुसेना के लिए 106 बेसिक ट्रेनर एयरक्राफ्ट सहित 8 हजार 722.38 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) की बैठक में ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए असॉल्‍ट राइफलों के लिए ‘थर्मल इमेजिंग नाइट साइट्स’ के स्‍वदेशी डिजाइन, विकास एवं निर्माण को मंजूरी मिली है. अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों के लिए इनका निर्माण भारत के निजी उद्योग द्वारा किया जाएगा.

इससे सैनिकों को अंधेरे के साथ-साथ हर तरह के मौसम में लम्‍बी दूरी से सटीक निशाना लगाने में मदद मिलेगी. अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों की रात में भी बड़ी तत्‍परता के साथ जंग करने की क्षमता काफी बढ़ जाएगी. डीएसी ने अतिरिक्‍त एयरबॉर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्‍टम (AWACS) एयरक्राफ्ट खरीदने पर भी सैद्धांतिक सहमति जताई.

इन विमानों के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) मिशन प्रणालियों और उप-प्रणालियों का स्‍वदेश में ही डिजाइन करेगा. फिर इनका विकास होने के बाद मुख्‍य प्‍लेटफॉर्म पर इन्‍हें एकीकृत किया जाएगा. ये प्‍लेटफॉर्म विमान पर ही कमांड एवं कंट्रोल तथा ‘पूर्व चेतावनी’ सुलभ कराएंगे, जिससे भारतीय वायु सेना (IAF) को हवाई क्षेत्र में कम से कम समय में प्रभावकारी वर्चस्‍व सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी.

इन प्रणालियों को शामिल करने से हमारे देश की सीमाओं पर कवरेज बढ़ जाएगी और इससे भारतीय वायु सेना की हवाई रक्षा तथा आक्रामक क्षमता दोनों को ही काफी हद तक बढ़ाने में मदद मिलेगी. डीएसी ने ​​नौसेना के लिए मध्‍यम दूरी वाले ‘पनडुब्बी-रोधी युद्ध पी-8आई’ विमान खरीदने को भी मंजूरी दे दी है. इन विमानों से समुद्री तटों की निगरानी, पनडुब्‍बी-रोधी युद्ध (एएसडब्‍ल्‍यू) और एंटी-सरफेस वेसल (एएसवी) से हमले करने की क्षमता काफी बढ़ जाएगी.

डीएसी ने भारतीय तटरक्षक के लिए ‘ट्विन इंजन हैवी हेलिकॉप्टर (टीईएचएच)’ की खरीद को भी स्‍वीकृति दे दी है. इन विमानों से तटरक्षक को समुद्र में आतंकवाद की रोकथाम करने और समुद्री मार्गों के जरिए आतंकवादियों की घुसपैठ रोकने के साथ-साथ तलाशी एवं बचाव अभियान चलाने के मिशन शुरू करने में मदद मिलेगी.

​हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत​