भोपाल: भारत में पहली बार कोरोना पॉजिटिव शव का पोस्टमार्टम, सुलझ सकती हैं कई गुत्थियां

TV9 Bangla Digital | Edited By: TV9 Bangla

Aug 18, 2020 | 9:44 AM

नई दिल्ली. देश में पहली बार कोरोना संक्रमित की मौत के बाद रविवार को भोपाल एम्स (Bhopal AIIMS) ने रिसर्च के लिए कोरोना पॉजिटिव मरीज की डेडबीडी का पोस्टमार्टम किया है. इस दौरान पोस्टमॉर्टम करने वाली डॉक्टर्स की टीम ने पीपीई किट (PPE) समेत सुरक्षा से जुड़ी सभी गाइडलाइंस का पालन किया. अगर ये रिसर्च […]

भोपाल: भारत में पहली बार कोरोना पॉजिटिव शव का पोस्टमार्टम, सुलझ सकती हैं कई गुत्थियां

Follow Us

नई दिल्ली. देश में पहली बार कोरोना संक्रमित की मौत के बाद रविवार को भोपाल एम्स (Bhopal AIIMS) ने रिसर्च के लिए कोरोना पॉजिटिव मरीज की डेडबीडी का पोस्टमार्टम किया है. इस दौरान पोस्टमॉर्टम करने वाली डॉक्टर्स की टीम ने पीपीई किट (PPE) समेत सुरक्षा से जुड़ी सभी गाइडलाइंस का पालन किया. अगर ये रिसर्च सफल रही तो कई गुत्थियां सुलझ सकती हैं.

कोरोना मरीजों के शव का पोस्टमार्टम कर ये पता लगाया जा रहा है कि कोरोना वायरस (Coronavirus) शरीर के कौन-कौन से अंगों को कितना नुकसान पहुंचाता है. शरीर के अंदर वायरस कितनी देर तक जीवित रहता है. कोरोना वायरस के असर से शरीर के अंगों पर पड़ने वाले प्रभाव की भी पड़ताल की जाएगी.

आईसीएमआर (ICMR) की मंजूरी के बाद एम्स भोपाल में 58 वर्षीय एक मरीज की मौत के बाद डॉक्टरों ने परिजनों से इस रिसर्च के लिए पोस्टमार्टम की परमीशन मांगी. मृतक के परिजनों की सहमति मिलने के बाद बीते रविवार को पोस्टमार्टम किया गया. कोरोना संक्रमित मरीज की मौत के बाद रिसर्च के लिए पोस्टमार्टम का देश में ये पहला मामला है.

भोपाल AIIMS ने पहले भी ICMR से कोरोना पर रिसर्च के लिए संक्रमित व्यक्ति के शव के पोस्टमॉर्टम की मंजूरी मांगी थी, लेकिन संक्रमण के खतरे को देखते हुए इसकी अनुमति नहीं दी गई. हालांकि, जब भोपाल एम्स ने संक्रमण रोकने के उपाय के साथ ही पोस्टमॉर्टम की एडवांस तकनीक की जानकारी ICMR को भेजी तो इसकी मंजूरी मिल गई.रविवार को पहली डेडबॉडी का चार विभागों के सहयोग से पोस्टमार्टम कर जानकारी एकत्रित की गई.

रविवार को यहां पर एक कोरोना मरीज के शव का पोस्टमॉर्टम इस शोध के लिए किया जा चुका है. कम से कम 10 शवों का परीक्षण कर ये रिसर्च किया जाएगा. हालांकि, इससे ज्यादा शव मिलते हैं तो उन्हें भी अध्ययन में शामिल किया जाएगा.

ये शोध एम्स के चार विभाग मिलकर कर रहे हैं. इसमें पैथोलॉजी विभाग, माइक्रोबायोलॉजी विभाग, फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग और क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग शामिल हैं. शव परीक्षण के लिए मृतक के स्वजन की लिखित सहमति जरूरी होती है.
एम्स के डायरेक्टर डॉ. सरमन सिंह ने कहा कि अभी सिर्फ इटली और यूएसए में इस तरह का अध्ययन हुआ है. भारत में संभवत इस तरह का अभी कोई शोध नहीं हुआ है.

Next Article