नई शिक्षा नीति में उर्दू भाषा के विकास को दिया गया है विशेष महत्व : संजय धोत्रे

TV9 Bangla Digital | Edited By: TV9 Bangla

Aug 22, 2020 | 5:24 PM

नई दिल्ली, 22 अगस्त (हि.स.). राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद की गवर्निंग कौंसिल की 25वीं वार्षिक बैठक केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री संजय धोत्रे की अध्यक्षता में आयोजित की गई. धोत्रे ने कहा कि उर्दू हमारे लिए न केवल एक भाषा है बल्कि साझी ‎विरासत है. हमें उर्दू भाषा देश के सभी नागरिकों तक पहुंचानी चाहिए और विशेष रूप से आधुनिक ‎तकनीक का […]

नई शिक्षा नीति में उर्दू भाषा के विकास को दिया गया है विशेष महत्व : संजय धोत्रे

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नई दिल्ली, 22 अगस्त (हि.स.). राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद की गवर्निंग कौंसिल की 25वीं वार्षिक बैठक केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री संजय धोत्रे की अध्यक्षता में आयोजित की गई. धोत्रे ने कहा कि उर्दू हमारे लिए न केवल एक भाषा है बल्कि साझी ‎विरासत है.

हमें उर्दू भाषा देश के सभी नागरिकों तक पहुंचानी चाहिए और विशेष रूप से आधुनिक ‎तकनीक का उपयोग इस भाषा के विकास और प्रगति के लिए किया जाना चाहिए. प्रधानमंत्री नरेन्द्र ‎मोदी भी अन्य भाषाओं के साथ साथ उर्दू भाषा के विकास और संर्वधन के लिए गंभीर हैं.

 ‎‎यही कारण है कि सरकार की तरफ से जो नई शिक्षा नीति बनाई गई है उसमें उर्दू भाषा के विकास का विशेष रूप से ध्यान रखा गया है, क्योंकि उर्दू भारत की ऐसी भाषा है जिसके अधिकतर ‎‎शब्द इस देश की हर भाषा में पाये जाते हैं और स्वयं उर्दू में भी हिन्दुस्तान की अलग भाषाओं के शब्द ‎मिलते हैं.

उन्होंने कहा कि इस नीति के तहत संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज उर्दू सहित सभी भाषाओं के विकास पर ‎‎ध्यान दिया जाएगा। इस उद्देश्य से अकादमियों का गठन किया जाएगा. इसके साथ ही उनके विकास ‎के लिए केन्द्र सरकार की तरफ से विशेष उपाय किए जाएंगे.

नई पीढ़ी के बीच उर्दू भाषा ‎को लोकप्रिय बनाने की विशेष तौर पर आवश्यकता है। कोई ऐसा प्रबन्ध किया जाना चाहिए कि जो लोग ‎उर्दू लिपि और उर्दू शब्दों से अपरिचित हैं उनके लिए भी उर्दू के शब्दों का अर्थ समझना संभव हो सके.

  उर्दू भाषा को शहरों के साथ गांव-गांव तक ले जाने की आवयश्कता है और ‎हिन्दुस्तान के कुछ ऐसे गांवों को चिह्नित किया जाना चाहिये जहां परिषद की ओर से उर्दू में आकर्षक ‎कार्यकमों का आयोजन किया जाये और वहां उर्दू भाषा के जानने और समझने वाले लोगों को प्रोत्साहित ‎करके उनमें उर्दू पढ़ने लिखने के लिए रुचि पैदा करने के साथ उर्दू से लगाव पैदा किया जाए. 

हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश कुमार

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