नई दिल्ली. आईटीबीपी ने उन 21 कर्मियों के नाम बहादुरी पदक के लिए अनुशंसित किये हैं जिन्होंने पिछले मई और जून, 2020 के महीनों में ईस्टर्न लदाख में चीनी सैनिकों का झड़पों के दौरान बहादुरी से डटकर सामना किया था.
इसके साथ ही, श्री एस एस देसवाल, डी जी आईटीबीपी ने 294 आईटीबीपी जवानों को ईस्टर्न लद्दाख में चीनी सैनिकों का शौर्य और बहादुरी के साथ सामना करने के लिए डी जी प्रशंसा पत्र और प्रतीक चिन्ह प्रदान किया है. 6 अन्य जवानों को छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के विरुद्ध सफल अभियानों के लिए डी जी प्रशंसा पत्र और प्रतीक चिन्ह प्रदान किया गया है.
आईटीबीपी जवानों ने ईस्टर्न लदाख में झड़पों के दौरान शील्ड का प्रभावशाली उपयोग किया और बहुत पराक्रम के साथ संख्या में ज्यादा पीएलए जवानों का सामना करते हुए उन्हें रोके रखा और स्थिति को नियंत्रण में रखा. बहुत आला दर्जे के युद्ध कौशल का परिचय देते हुए आईटीबीपी के जवानों ने कंधे से कन्धा मिलकर बहादुरी से संघर्ष किया और कई घायल सेना के जवानों को सुरक्षित स्थानों तक पहुँचाया.
आईटीबीपी के जवानों ने पूरी रात पीएलए का सामना किया और 17 से 20 घंटों तक उन्हें जवाबी कार्रवाई करते हुए रोके रखा. इन झड़पों में हाई altitude में आईटीबीपी जवानों की ट्रेनिंग और उनकी हिमालय में तैनाती की क्षमता से कई सामरिक महत्व के क्षेत्रों को सुरक्षित रखा जा सका.
इसके साथ ही आईटीबीपी ने अपने 318 कर्मियों के नाम और 40 अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के कर्मियों के नाम केंद्रीय गृह मंत्री स्पेशल ऑपरेशन ड्यूटी मेडल के लिए अग्रेषित किये हैं जिन्होंने कोरोना के प्रसार को रोकने और अन्य प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
आईटीबीपी जनवरी से ही कोरोना के विरुद्ध संघर्ष में बढ़ चढ़कर भूमिका निभाई है. बल ने देश का पहला 1000 बिस्तरों का क्वारंटाइन केंद्र छावला में बनाया जिसमें वुहान और बाद में इटली के भारतीय नागरिकों को रखा गया, साथ ही बल ने नई दिल्ली में 10000 बिस्तरों वाले विश्व के सबसे बड़े सरदार कोविड केयर सेंटर और हॉस्पिटल को भी संचालित कर रहा है.