जम्मू-कश्मीर में 4जी इंटरनेट मामले पर कमेटी गठित नहीं, सुनवाई टली

TV9 Bangla Digital | Edited By: TV9 Bangla

Aug 07, 2020 | 2:01 PM

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में 4जी इंटरनेट के मामले पर अभी तक किसी कमेटी का गठन नहीं होने पर दायर अवमानना याचिका पर आज सुनवाई फिर टाल दी है. जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने 11 अगस्त को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि आगे अब सुनवाई टाली […]

जम्मू-कश्मीर में 4जी इंटरनेट मामले पर कमेटी गठित नहीं, सुनवाई टली

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सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में 4जी इंटरनेट के मामले पर अभी तक किसी कमेटी का गठन नहीं होने पर दायर अवमानना याचिका पर आज सुनवाई फिर टाल दी है. जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने 11 अगस्त को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि आगे अब सुनवाई टाली नहीं जाएगी.

शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के नए उप-राज्यपाल कल ही नियुक्त हुए हैं. वे इस मामले में जवाब देने के लिए समय की मांग कर रहे हैं. जस्टिस रमना ने मेहता से पूछा कि हम जमीनी हकीकतों से अलग यह जानना चाहते हैं कि क्या कुछ इलाकों में 4-जी इंटरनेट शुरू करना संभव है.

मेहता ने कहा कि नए उप-राज्यपाल के कार्यभार संभालने के बाद कुछ स्थितियां बदली हैं जिन पर विचार करना जरूरी है. इसका वकील हुफैजा अहमदी ने विरोध करते हुए कहा कि पहले सॉलिसिटर जनरल कह रहे थे कि जवाब देने की जरूरत नहीं है, अब कह रहे हैं कि जवाब देंगे.

कोर्ट ने पिछली 16 जुलाई को केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किया था. याचिका फाउंडेशन ऑफ मीडिया प्रोफेशनल्स ने दायर की है. पिछली 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में 4जी इंटरनेट की मांग करने वाली याचिका खारिज करते हुए 4जी की जरूरत पर विचार करने के लिए केंद्र सरकार को एक हाई पावर्ड कमेटी का गठऩ करने का निर्देश दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि इस कमेटी की अध्यक्षता केंद्रीय गृह सचिव करेंगे. यह कमेटी याचिकाकर्ताओं की समस्याओं पर गौर करेगी. कोर्ट ने कमेटी को निर्देश दिया था कि वह जम्मू-कश्मीर में 4जी इंटरनेट से जुड़ी जमीनी हकीकत पर गौर करेगी. कोर्ट ने कमेटी को निर्देश दिया था कि वे जम्मू-कश्मीर के पत्रकारों, डॉक्टरों और वकीलों की समस्याओं पर गौर करेंगे और धीमे नेटवर्क का वैकल्पिक हल निकालेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा और मानवाधिकार में संतुलन की जरूरत है. हम यह समझते हैं कि जम्मू-कश्मीर में संकट है. हम यह भी समझते हैं कि कोरोना महामारी की वजह से लोगों को तकलीफें झेलनी पड़ रही हैं.

हिन्दुस्थान समाचार/संजय

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