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लद्दाख में तनाव के बीच चीन ने लिपुलेख में बनाया मिसाइल प्लेटफार्म

लद्दाख में भारत-चीन के बीच बॉर्डर को लेकर चल रही तनातनी के बीच चीनी सेना ने उत्तराखंड के लिपुलेख बॉर्डर पर अपनी गतिविधियां बढ़ा दी है. चीन ने लिपुलेख पास पर पहले एक हजार से अधिक जवानों की तैनाती की थी, जिसे अब बढ़ाकर 2 हजार कर दिया गया है. इतना ही नहीं सेटेलाइट की […]

लद्दाख में तनाव के बीच चीन ने लिपुलेख में बनाया मिसाइल प्लेटफार्म
| Edited By: | Updated on: Aug 20, 2020 | 7:15 PM
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लद्दाख में भारत-चीन के बीच बॉर्डर को लेकर चल रही तनातनी के बीच चीनी सेना ने उत्तराखंड के लिपुलेख बॉर्डर पर अपनी गतिविधियां बढ़ा दी है. चीन ने लिपुलेख पास पर पहले एक हजार से अधिक जवानों की तैनाती की थी, जिसे अब बढ़ाकर 2 हजार कर दिया गया है.

इतना ही नहीं सेटेलाइट की तस्वीरों से यह भी खुलासा हुआ है कि चीन यहां 100 किमी. के दायरे में पक्के निर्माण भी करा रहा है. यहां सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल के लिए प्लेटफार्म भी चीन ने बना लिया है. इस जगह पर भारत, नेपाल और चीन की सीमाएं मिलती हैं.

इसी जगह को अपने नक्शे में दिखाकर नेपाल अब दुनिया का समर्थन हासिल करने की कोशिश करने में लगा है. लिपुलेख में चीनी सेना की गतिविधियां बढ़ने पर नेपाल से चीन की ‘दोस्ती’ का राज खुलने लगा है.

चीनी आर्मी ने भारत के इलाके उत्तराखंड के लिपुलेख पास पर एलएसी के पार पिछले महीने एक बटालियन जवानों की तैनाती की थी. इस इलाके में तेजी से गतिविधियां बढ़ा रहे चीन ने अब फिर एक हजार सैनिकों की संख्या बढ़ाई है. इस तरह अब चीनी सेना 2000 सैनिक तैनात कर चुकी है.

यही वजह है कि एलएसी के पार लिपुलेख इलाके में चीनी सैनिक चहलकदमी करते देखे गए हैं. यह लिपुलेख पास वही इलाका है, जहां से भारत ने मानसरोवर यात्रा के लिए नया रूट बनाया है. लिपुलेख पास के जरिए LAC के आर-पार रहने वाले आदिवासी जून से अक्टूबर के दौरान व्यापार के सिलसिले में आवाजाही करते हैं.

यह इलाका पिछले दिनों तब चर्चा में आया था, जब नेपाल ने यहां भारत की बनाई 80 किलोमीटर की सड़क पर ऐतराज जताया था. इसके बाद नेपाल ने अपनी संसद में एक नया नक्शा पास कर लिया है, जिसमें उसने लिपुलेख के साथ ही कालापानी और लिम्पियाधुरा को भी अपना हिस्सा बताया है.

अब नेपाल एक अंग्रेजी में पुस्तक प्रकाशित करवा रहा है, जिसे वह दुनिया भर के देशों को भेजकर समर्थन जुटाने की तैयारी कर रहा है. उत्तराखंड के सीमावर्ती अपने इलाके दार्चूला में नेपाल स्थाई चौकियां और हेलीपैड का निर्माण कर रहा है. पिछले महीने उत्तराखंड के चंपावत जिले के सीमावर्ती टनकपुर इलाके में नो मेंस लैंड पर नेपाल ने पौधरोपण कर तारबाड़ लगाकर नया विवाद खड़ा करने का प्रयास किया है.

चंपावत जिला प्रशासन ने नेपाल के साथ अपना विरोध दर्ज कराया है. भारत-चीन-नेपाल सीमा के ट्राइजंक्शन लिपुलेख में चीन की नजरें लम्बे समय से लगी हैं. अब नेपाल के साथ ‘दोस्ती’ परवान चढ़ने पर चीन की हरकतें बढ़ने लगी हैं.

चीन सक्रिय रूप से अब भारत-चीन-नेपाल त्रिकोणीय सीमा क्षेत्र के पास सैनिकों को तैनात कर रहा है​. इसके साथ ही इस इलाके के 100 किमी. के दायरे में पक्के निर्माण भी तेजी से किये जा रहे हैं.​ सेटेलाइट की नई तस्वीरों से यह भी खुलासा हुआ है कि चीन ने ​लिपुलेख पास सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल के लिए प्लेटफार्म भी बनाया है.

चीन ने इस क्षेत्र में मई 2020 से अपने दावों का समर्थन करने वाले अतिरिक्त ढांचागत उन्नयन के कार्य कराये हैं. इसमें कई ऐसे पक्के निर्माण कार्य हैं, जो भारतीय क्षेत्र में तो नहीं हैं लेकिन सीमा के करीब होने की वजह से भारत के साथ विवाद बढ़ना स्वाभाविक है​. ​लिपुलेख पास पर एलएसी के पार 2000 चीनी सैनिक ​तैनात किये जाने के बाद अब यहां भी दोनों देशों की सेनाओं के आमने-सामने होने की स्थिति बन रही है​.

हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत