देश को आत्मनिर्भर बनाने में बाधक है स्वदेशी उत्पादों के प्रति अविश्वास की प्रवृत्ति: RSS Chief

RSS के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने सामान्य जनमानस में स्वदेशी उत्पादों के प्रति अविश्वास की प्रवृत्ति को देश को आत्मनिर्भर बनाने में बड़ी बाधा करार दिया है. उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों के उत्पादों को बिना उचित परीक्षण के दोयम दर्जे का मानना अनुचित है.  सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने बतौर मुख्य […]

देश को आत्मनिर्भर बनाने में बाधक है स्वदेशी उत्पादों के प्रति अविश्वास की प्रवृत्ति: RSS Chief
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| Edited By: | Updated on: Aug 12, 2020 | 8:36 PM

RSS के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने सामान्य जनमानस में स्वदेशी उत्पादों के प्रति अविश्वास की प्रवृत्ति को देश को आत्मनिर्भर बनाने में बड़ी बाधा करार दिया है. उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों के उत्पादों को बिना उचित परीक्षण के दोयम दर्जे का मानना अनुचित है. 

सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने बतौर मुख्य अतिथि बुधवार को मैकग्रा हिल द्वारा कोविड-19 महामारी के बाद देश की अर्थव्यवस्था में बदलाव विषय पर आयोजित कार्यक्रम को डिजिटल माध्यम से संबोधित किया. उन्होंने इस दौरान राजेंद्र गुप्ता की दो पुस्तकों ‘योर डिग्री इज नॉट एनफ- एजुकेशन फॉर जेननेक्सट’ और ‘टॉप चॉइस एंड हार्ड डिसीजन रीबिल्डिंग इंडिया’ का विमोचन किया.

भारत में कोविड-19 महामारी से अन्य देशों के मुकाबले कम जनहानि का श्रेय जनता को देते हुए सरसंघचालक ने कहा कि सरकार द्वारा समय पर कदम उठाए जाने के साथ-साथ आम जनमानस द्वारा नियमों के पालन के प्रति सजगता दिखाने के कारण यह संभव हुआ है.असल में हम लोग कम साधनों के बावजूद सावधानी पूरी रखते हैं लेकिन डरते नहीं हैं, यही आत्मनिर्भर भारत का आत्मभाव है.

उन्होंने कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वतंत्रता के बाद जो आर्थिक नीति बननी चाहिए थी वह नहीं बनी. उन्होंने रूस से पंचवर्षीय योजना का विचार लेने का ज़िक्र करते हुए कहा कि हमने अब तक अन्य देशों का केवल अनुकरण किया लेकिन उसका उचित परिणाम नहीं निकला. भागवत ने कहा कि अब सरकार ने पहल की है जो स्वागत योग्य है. हालांकि इसका कार्यान्वयन नीति और नेतृत्व के साथ ही सामान्य समाज के संकल्प पर निर्भर है.

उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि हम विदेशी विचारों के विरोधी हैं बल्कि हम उसमें से उपयुक्त विचार लेकर उन्हें अपने रंग में रंगने के पक्षधर हैं और यही सही मायने में वास्तविक समृद्धि है.

केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने देश में नई शिक्षा नीति को लागू करने को लेकर चल रही चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति केवल ड्राफ्ट मात्र नहीं है बल्कि सरकार इसे पूरी इच्छाशक्ति के साथ लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि नीति को लागू करने के लिए पूरी तैयारी की गई है. असल में इस नीति का कितने चरणों में क्रियान्वयन होगा, यह सब तय किया जा चुका है.

उन्होंने कोरोना वायरस के समय में ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा को जारी रखने को सरकार की बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि ऑनलाइन शिक्षा के साथ-साथ सरकार दूर छोर पर साधन विहीन विद्यार्थियों तक स्वयंप्रभा और दूरदर्शन के माध्यम से पहुंचने के लिए प्रयासरत है.

कार्यक्रम में नीति आयोग के चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा कि कोरोना की आपदा को अवसर में बदलने के लिए विकास को जन आंदोलन बनाना होगा. उन्होंने जल्द ही अर्थव्यवस्था में सुधार का विश्वास जताते हुए कहा कि सितम्बर माह के बाद अर्थव्यवस्था का ग्राफ ऊपर की ओर जाना तय है.

उन्होंने कोरोना वायरस के बाद अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए हाउसिंग सेक्टर और देश को स्लम मुक्त बनाने के साथ ही सड़क, रेल, बिजली, पानी और निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्र में निवेश की आवश्यकता पर बल दिया. राजीव ने कहा कि केंद्र, राज्य, निगम और पंचायत को एकजुट होकर एक समझ के साथ आगे बढ़ना होगा.

हिन्दुस्थान समाचार/सुशील

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