रोजगार सृजन और कौशल विकास के मुद्दे पर GOM से मिला BMS का प्रतिनिधिमंडल

नई दिल्ली, 08 अगस्त (हि.स.). भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने रोजगार सृजन एवं कौशल विकास से संबंधित केंद्रीय मंत्रियों के समूह (जीओएम) के समक्ष कृषि, बागवानी एवं मत्स्य पालन समेत परम्परागत क्षेत्र में रोजगार सृजन का मुद्दा उठाया है. बीएमएस ने कहा है कि परम्परागत क्षेत्र में रोजगार सृजन के लिए सरकार को ठोस कदम […]

रोजगार सृजन और कौशल विकास के मुद्दे पर GOM से मिला BMS का प्रतिनिधिमंडल
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| Edited By: | Updated on: Aug 08, 2020 | 4:04 PM

नई दिल्ली, 08 अगस्त (हि.स.). भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने रोजगार सृजन एवं कौशल विकास से संबंधित केंद्रीय मंत्रियों के समूह (जीओएम) के समक्ष कृषि, बागवानी एवं मत्स्य पालन समेत परम्परागत क्षेत्र में रोजगार सृजन का मुद्दा उठाया है. बीएमएस ने कहा है कि परम्परागत क्षेत्र में रोजगार सृजन के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने के साथ ही इनके संरक्षण पर भी ध्यान देना होगा.

केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत की अध्यक्षता में गठित जीओएम में गहलोत समेत 8 मंत्री शामिल हैं. इस समूह की गुरुवार और शुक्रवार को लगातार दो दिन बैठक हुई. इस दौरान बीएमएस के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बी. सुरेन्द्रन और क्षेत्रीय संगठन मंत्री पवन कुमार के नेतृत्व में संगठन का प्रतिनिधिमंडल जीओएम से मिला था.

इस दौरान बीएमएस प्रतिनिधिमंडल ने कृषि, मत्स्य पालन, बागवानी, हथकरघा एवं बीड़ी उद्योग समेत परम्परागत क्षेत्रों में रोजगार सृजन और कामगारों के कौशल विकास को लेकर विस्तृत चर्चा की. बीएमएस के क्षेत्रीय संगठन मंत्री पवन कुमार ने शनिवार को हिन्दुस्थान समाचार के साथ बातचीत में बताया कि जीओएम के साथ हमारी बातचीत सकारात्मक रही.

उन्होंने बताया कि जीओएम ने हमारी बातों को ध्यान से सुना और हमारे द्वारा उठाए गए मुद्दों को समझने के लिए कई प्रश्न भी पूछे. प्रश्न पूछने का सीधा सा अर्थ है कि हमारे द्वारा उठाए गए बिंदुओं को सामने वाला गंभीरता से ले रहा है.

पवन कुमार ने कहा कि नाई, धोबी, दर्जी, कुम्हार और बढ़ई; जैसे कामगारों के कार्य ऐसे हैं जो परम्परागत रोजगार माने जाते हैं. सरकार यदि इन कामगारों के कौशल विकास पर ध्यान दे तो इनकी स्थिति और सुदृढ़ हो सकती है. ये लोग स्थानीय स्तर पर अन्य लोगों को भी रोजगार मुहैया करा सकते हैं.

उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है. एक रिपोर्ट्स के मुताबिक सबसे ज्यादा असर मैन्युफैक्चरिंग, टूरिज्म, कंस्ट्रक्शन, ट्रेड, हॉस्पिटैलिटी, ऑटो और एमएसएमई सेक्टर के कारोबार में लगे लोगों पर पड़ा है. परम्परागत क्षेत्र के कामगारों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. इस सेक्टर के पुनरुद्धार और रोजगार सृजन के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने जीओएम का गठन किया है.

हिन्दुस्थान समाचार/पवन/बच्चन

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