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चीन के साथ अगर बातचीत फेल हुई तो सैन्य विकल्प मौजूद-बिपिन रावत

नई दिल्ली. भारत लगातार चीन के साथ अपने रिश्ते सुधारने की कोशिशों में लगा हुआ है, लेकिन चीन अपनी संप्रभुत्ता से समझौता करने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है. चीन सीमा विवाद पर भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा अगर चीन से बातचीत नाकाम होती है तो उनसे निपटने […]

चीन के साथ अगर बातचीत फेल हुई तो सैन्य विकल्प मौजूद-बिपिन रावत
| Edited By: | Updated on: Aug 27, 2020 | 9:00 AM
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नई दिल्ली. भारत लगातार चीन के साथ अपने रिश्ते सुधारने की कोशिशों में लगा हुआ है, लेकिन चीन अपनी संप्रभुत्ता से समझौता करने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है. चीन सीमा विवाद पर भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा अगर चीन से बातचीत नाकाम होती है तो उनसे निपटने के लिए सैन्य विकल्प भी तैयार है. विपिन रावत ने कहा कूटनीतिक स्तर पर बातचीत चल रही है. दोनों देशों की सेनाएं भी शांतिपूर्ण तरीके से मसले को हल करने में जुटीं हुई हैं.

रावत ने कहा कि लद्दाख में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के गतिरोध से निपटने के लिए सैन्य विकल्प तैयार हैं लेकिन इसका इस्तेमाल तभी किया जाएगा जब दोनों सेनाओं के बीच बातचीत और राजनयिक विकल्प से कोई हल नहीं निकलेगा. उन्होंने कहा कि रक्षा सेवाएं हमेशा सैन्य कार्यों के लिए तैयार रहती हैं. फिर वो चाहें एलएसी के साथ यथास्थिति को बहाल करने की सभी कोशिशें का सफल न होना ही शामिल क्यों ने हो. उन्होंने कहा कि भारत के हिंद महासागर क्षेत्र के साथ-साथ उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर एक विशाल फ्रंट-लाइन है, जिसकी सभी को लगातार निगरानी की जरुरत है.

उन्होंने कहा, ‘रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जिम्मेदार सभी लोग इस उद्देश्य के साथ सभी विकल्पों की समीक्षा कर रहे हैं कि पीएलए लद्दाख में यथास्थिति बहाल करना चाहता है. 2017 में जब भारत और चीन के बीच 73 दिनों का गतिरोध हुआ था उस समय सीडीएस रावत सेनाध्यक्ष का पदभार संभाल रहे थे. उन्होंने इस धारणा को दूर किया कि प्रमुख खुफिया एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी है. शनिवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एनएसए और तीन सेना प्रमुखों के साथ लद्दाख में एलएसी पर चीन के साथ जारी गतिरोध पर चर्चा की.

गौरतलब हो कि एलएसी पर विवाद सुलझाने के लिए भारत और चीन के बीच कई बार सैन्य वार्ता हो चुकी है. इसमें लेफ्टिनेंट-जनरल स्तर की वार्ता शामिल है. राजनयिक स्तर पर भी बातचीत जारी है. संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी चीन से बात कर रहे है. दोनों पक्षों के बीच सीमा पर तनाव को कम करने पर बात किया जा रहा है. दोनों सेनाओं के बीच एक कूटनीतिक बातचीत भी शुरू होती है तो फिर खत्म हो जाती है लेकिन ऐसा देखा जा रहा है कि पीएलए अब अपने पैर पीछे की तरफ रही है क्योंकि ये अब एक घरेलू राजनीति का मुद्दा बन गया है.