पतंजलि के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण का जन्मदिन आज, 30 साल से है बाबा रामदेव से दोस्ती
पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण का आज जन्मदिन है. पतंजलि परिवार ने अपने आचार्य का जन्मदिन जड़ी-बूटी दिवस के रूप में मनाया. इस दौरान पूरी दुनिया को निरोगी रहने का संकल्प लिया गया. साथ ही पौधारोपण का संकल्प लिया गया. कार्यक्रम में पहुंची राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने पतंजलि योगपीठ के देश और समाज […]
पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण का आज जन्मदिन है. पतंजलि परिवार ने अपने आचार्य का जन्मदिन जड़ी-बूटी दिवस के रूप में मनाया. इस दौरान पूरी दुनिया को निरोगी रहने का संकल्प लिया गया. साथ ही पौधारोपण का संकल्प लिया गया.
कार्यक्रम में पहुंची राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने पतंजलि योगपीठ के देश और समाज के विकास में योगदान को सराहा. उन्होंने कहा कि पतंजलि ने योग और आयुर्वेद के जरिए पूरी दुनिया में भारत का गौरव बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि पतंजलि के कारण आज पूरी दुनिया में योग को पहचान मिली है.
उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया मानने लगी है कि योग और आयुर्वेद के जरिए असाध्य बीमारियों को ठीक किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि योग का जन्म उत्तराखंड से ही हुआ है. इसीलिए इसे देवभूमि कहा जाता है. पतंजलि ने देवभूमि का नाम उंचा करने का काम किया है.
योग गुरु स्वामी रामदेव ने कहा कि पतंजलि को योग और आयुर्वेद की सबसे बड़ी संस्था बनाने में आचार्य बालकृष्ण का अहम योगदान है. उन्होंने संपूर्ण जीवन क्रियाशील, गुणात्मक, रचनात्मक और समाज की सेवा में समर्पित किया हुआ है.
30 साल से है बाबा रामदेव से दोस्ती
आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव की दोस्ती काफी पुरानी है. नेपाल में पैदा हुए आचार्य बालकृष्ण के पिता उत्तराखंड में एक कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड थे. साल 1987 में खानपुर के एक गुरुकुल में दोनों की मुलाकात हुई थी. गुरुकुल से ही दोनों ने योग और आयुर्वेद को पूरी दुनिया में फैलाने का सपना देखा था, और उसे पतंजलि के माध्यम से पूरा किया.
गुरुकुल में पढ़ाई पूरी करने के बाद दोनों दोस्त यानी बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण अलग-अलग चले गए. साल 1993 में एक बार फिर दोनों की मुलाकात हरिद्वार में हुई. बाबा रामदेव अब योग सिखाने लगे थे, और आचार्य बालकृष्ण आयुर्वेदिक दवाएं बेंचते थे. दोनों को पहली सफलता 2 साल बाद यानी 1995 में मिली.
1995 में बोडोलैंड में मलेरिया फैला, वहां दोनों ने लोगों की जमकर सेवा की. बाबा रामदेव लोगों को योग सिखाते थे, और आचार्य बालकृष्ण लोगों को दवाएं देते थें. दोनों की मेहनत से वहां हालात सामान्य होने लगे, और चरमपंथी संगठनों ने भी इन्हें सुरक्षा देने का वादा किया.
5 जनवरी 1995 को रामदेव और बालकृष्ण ने दिव्य फार्मेसी रजिस्टर करवाई. कनखल में चार कमरों में टिन शेड के तले पहला कारखाना बना. और यहीं से शुरू हुआ दोनों का व्यापार. दवाइयों के बाद जो पहला प्रोडक्ट लॉन्च किया वो था च्यवनप्राश. साल 2006 में दोनों ने मिलकर पतंजलि की स्थापना की.
मीडिया से दूर रहते हैं आचार्य
आज आचार्य बालकृष्ण पतंजलि आर्युवेद सहित 34 कंपनियों के एमडी हैं. लेकिन इसके बाद भी आचार्य बालकृष्ण मीडिया के कैमरों से दूर रहते हैं. हरिद्वार में पतंजलि आयुर्वेद अस्पताल के सामने 10 एकड़ की नर्सरी में उनको अक्सर देखा जा सकता है. ये नर्सरी ही उनका ठिकाना है. और यहीं पर वे अपने रिसर्च किया करते हैं.
यूपीए सरकार में कई विवाद जुड़े
आचार्य बालकृष्ण के साथ कई विवाद भी जुड़े. मनमोहन की सरकार में उनके पासपोर्ट को लेकर भी विवाद हुआ. आय से अधिक संपत्ति मामले में भी उनको चांज के दायरे से गुजरना पड़ा. हालांकि किसी भी जांच में वे दोषी नहीं पाए गए. राजनीति के शिकार होने पर कुछ समय के लिए उन्हें अज्ञातवास में भी रहना पड़ा.
आज आचार्य बालकृष्ण देश के 50 सबसे अमीर व्यक्तियों में शामिल हैं. उन्होंने जो भी मुकाम हासिल किए वे आयुर्वेद और अपनी मेहनत के बदौलत ही किए.